Sunday, November 25, 2018

India Need a Super Human Not Super actor - Open Letter to Amitabh Bacchan

भारत को जरूरत है महानायक की ना की महाभिनेता की - खुला पत्र अमिताभ बच्चन के नाम

आप को हम सदी का महानायक कहते है और गर्व महसूस करते है, पूरी दुनिया में २०० करोड़ से ज्यादा आपके चाहने वाले है, वो आपके कहने पर कुछ भी कर सकते है, पर कभी कभी मुझे ये लगता है की शायद हमने आपको कुछ ज्यादा ही कह दिया , आप महान अभिनेता हो सकते हो, महान इंसान हो सकते हो, महान कार्यकर्ता हो सकते हो पर महानायक कुछ ज्यादा है।

मैं आज ये पत्र आपको इसलिए लिख रहा हूँ की भारत को एक महानायक की आवश्यकता है और आप उसके लिए सबसे उपयुक्त हो और आपको  जनता ने महानायक माना भी है स्वीकारा भी है । आप ही दुनिया की सबसे ज्यादा जनता के महानायक हो ।

जरा सोचिए ??  हमने आपको महानायक और उससे भी ज्यादा सदी का महानायक क्यों कहा ? 


कम से कम 100 से अधिक कलाकार है जो आप से पहले फिल्मो में राज करते थे, आप के समय में भी राज करते रहे और आप का समय निकल जाने पर आजकल राज कर रहे है , किसी को भी महानायक नही कहा गया फिर आप को ही क्यों महानायक कहा गया।

जरा याद करिए आप अपनी कुछ  फिल्में , अजूबा , अग्निपथ, क्रोध,  जादूगर,तूफ़ान, शहंशाह, अमीर आदमी गरीब आदमी, इंकलाब, अँधा कानून, शक्ति, महान, देश प्रेमी ,

जरा इस दौर की फिल्मों पर गौर कीजिए और देखिए उनमे क्या बात कॉमन है, बहुत सी फिल्मो में आप एक मसीहा है जो कमजोरो की रक्षा कर रहा है , सिस्टम से, करप्शन से , लूट से, जुल्म से, कई फिल्मों में आपने अकेले पूरे सिस्टम से लड़ाई की , पूरा सिस्टम चेंज किआ, जादूगर फिल्म को याद करिए, एक ढोंगी बाबा का पाखंड दूर करने के लिए आप खुद बाबा बन गए और फिर अंत मे सचमुच उसी पाखंड को तोड़ा नही बल्कि उसी से दवाई खिला कर लोगो का इलाज किया, लोगो की सहानभूति ली।  

1980-1985 ये वो वक्त था हिन्दुतान बदलना शुरू हुआ था, इमरजेंसी से बाहर निकला था, घरो में टेलीविज़न पहुंचने लगे था, लोगो को जानकारिया हो रही थी, पॉलिटिक्स चेंज हो रही थी, देश मे आंदोलन चल रहे थे और उस वक्त आई हुई ये आपकी की फिलमें जो आपको महानायक दिखाती, जो लोगो को दिखाती देखिए ये एक सिस्टम से त्रस्त व्यक्ति सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो गया और जीत गया। यही वी समय था जब भारत खुलना शुरू हुआ था, लोग प्रश्न पूछ रहे थे सिस्टम से, लोग कुछ करना चाह रहे थे जीवन मे , लोग नए सपने बन रहे थे और उसी समय ही लोग भारत से बाहर बहुत गए, सभी के लिए आप महानायक थे, वो सभी अपने जीवन में संघर्ष कर रहे थे और वो फ़िल्म में आप को संघर्ष करते देखते और अंत मे जीतता हुआ भी देखते तो उनका जोश दुगना हो जाता और वो खुद को जीतता हुआ महसूस करते आप की जीत के साथ।

उसी दौर ने आपको महानायक की उपाधि दी, उसी दौर ने आपको फिल्मी दुनिया के बाकी सभी 100 से अधिक फिल्म स्टार जो लगभग आपको के ही समकक्ष कहे जा सकते है उनसे अलग कर दिया, बाकी सब फ़िल्मी नायक या अभिनेता रह गए और आप महानायक बन गए।

मुझे लगता है शायद आपको भी ये महसूस हुआ की जनता के लिए कुछ करना चाहिए और इसी के चलते आप ने  1984 में फिल्मे छोड़ कर पोलिटिकस में आ गए, शायद आप को लगा हो कि मैं राजनीति में जाकर कुछ महानायक जैसा काम कर पाऊं , पर राजनीति आपको रास नही आई, में इस बात पर बहुत नही कहूंगा क्यूंकि ना तो में सच जानता हूं इस घटना का और ना ही पुरानी बातें याद करना मेरे इस पत्र का विषय है ।

ये हुई पुरानी बातें फिर एक दौर आया जब आप की फिल्में चल नही रही थी, बिज़नेस में नुकसान हुआ और बहुत सी ऐसे चीजे जो आपको नही करनी चाहिए थी वो आपने की, चाहै फिल्मे हो, चाहे उस समय के राजनीतिक रिश्ते , पर आप को कौन बनेगा करोड़पति मिला और आप का एक नया दौर शुरू हुआ,आप घर घर का नाम हो गये , आप सपने बेचने लगे और लोग टीवी पर चिपके रहते आपको मिलने के लिए, मुझे याद जब KBC आया रात भर घर के सब लोग KBC का नुंबेर लैंडलाइन से डायल करते रहते थे कि हमारा नंबर लग जाए, पूरे देश का यही हाल था, केबीसी  ने आपको नई पहचान दी और हमारे दौर के लोग जो 1980-1990 के बीच पैदा हुए जिन्होंने आपकी की फिल्में टीवी पर तो देखी पर कभी भी आपसे बहुत नहीं जुड़ पाए थे आपकी महानायक की छवि को स्वीकार नही किया था , उन्होंने भी केबीसी के दौरान स्वीकार लिया की अगर कोई सदी का महानायक है तो वो है आप। उसके बाद  लोग आपके हिसाब से फिल्मे लिखने लगे और आपने एक से बढ़कर एक फिल्मे दी और पूरी दुनिया ने बिना किसी शक के स्वीकार किया की अगर इस सदी का महानायक कोई है तो वो सिर्फ आप है सिर्फ आप है सिर्फ आप है।

पर क्या आपने कभी सोचा है कि क्या आपको महानायक कहना वो भी केवल कुछ काल्पनिक किरदारों की वजह से कोई गलती तो नही है।  आप सुपरमैन , बैटमैन , स्पाइडर मैन जैसे महानायक नहीं थे जिनको किसी दुनिया को नष्ट करने वाले काल्पनिक किरदार से लड़ना था, आप महानायक हो भारत की जनता के जिसने आपको उनकी रोज की परेशानियों से लड़ते देखा , उनसे जीतते देखा। आप महानायक को उस जनता के जिसने आपकी फिल्म देखकर सोचा की हां कोई महानायक है और हम जिसके पीछे है और वो जीत गया।  वो जीत चाहे छणिक थी चाहे काल्पनिक थी पर वो जीत थी  ,जनता के महानायक की जीत, जनता की जीत।

आप विश्व के २०० करोड़ से ज्यादा लोगो द्वारा स्वीकृत महानायक हो, पिछली शताब्दी के एकमात्र जीवित महानायक।

मैं वैसे तो ये चाहता हु की आप 5०० वर्ष तक जिये पर सत्य को तो स्वीकारना पड़ेगा , आप अगले 20-30 साल या 40 साल जब तक भी जिएंगे तब तक क्या आपको नहीं लगता की जीवन के इस पड़ाव में सचमुच में महानायक जैसा कुछ करना चाहिए ।

आप अभी तक  अपनी इस छवि का फायदा सिर्फ और सिर्फ सम्पति जमा करने में कर रहे हो, आप शैम्पू , तेल , साबुन , टीवी , फोन , बिस्कुट, नमकीन, डायपर और पता नही क्या क्या बेच रहे हो। मनोरंजन आप कर रहे है पर अब शायद मनोरंजन से ज्यादा चाहिए जनता को ।

हाल ही में कुछ कर्मवीर के एपिसोड देखे मैने और हर बार यही मन में आया कि आप तो सिर्फ अभिनेता है नायक भी नही है महानायक जैसा तो आपने कुछ नही किया, एक छवि बनाई और उस छवि से साबुन तेल बेच कर सम्पति बनाई, हो सकता है बीच मे कुछ पोलियो फ्री में, या अन्य सरकारी योजनाओं का प्रचार किया हो हो सकता है कुछ लोगो को आर्थिक मदद की हो पर वो तो आपके प्रोफेशन का हिस्सा है, उसमे कुछ भी महान नही है और नायक या महानायक तो कुछ नही है।

केबीसी भी सिर्फ एक मनोरंजन है लोगो के सपनो को बेचने का, पूरे देश से लगभर 120 लोगो ने हिस्सा लिया जिसमें से 10-15 लोग कुछ अच्छा जीते हो और कुछ 30-40 लोग थोड़ा जीते पर इससे भी एक बड़े समाज का सिर्फ मनोरंजन हुआ उससे ज्यादा कुछ नहीं , ये भी सिर्फ एक मनोरंजन बाजार का हिस्सा है।

आपकी एक छवि है जो शायद विश्व में दोबारा बननी असंभव है, और ये हमारा देश है जिसको नायक की जरूरत है , ये तो ऐसा देश है जो इस समय नायक के आभाव से गुजर  रहा है और उसे जो भी लगता है नायक बनने लायक उसके पीछे हो जाता है, इस देश को जरूरत है इस समय लोगो के द्वारा लोगो से जुड़ा सामाजिक आंदोलन करने की, जो राजनीतिक ना हो।  राजनीति में तो यहाँ के लोग अक्सर धोखा खा जाते है क्यूंकि राजनीति है है ऐसी, अरविन्द केजरीवाल ने एक आंदोलन खड़ा किया जिसमे जनता उसके साथ थी पर वह सब भूल कर राजनीतिक रह गया, यही नरेंद्र मोदी के साथ भी है, वो भी जब तक प्रधानमंत्री नहीं थे जनता को जोड़कर कुछ बड़ा आंदोलन खड़ा करने की बात करते थे पर अब वो भी नहीं कर पाते, शायद कुछ मजबूरियां है राजनीति की।

आप जरा इस देश के अमीरो की स्तिथि भी देखिये , वो  सिर्फ पर्सनल सम्पति बनाने में लगे है, वो अपनी धनराशि का एक बड़ा हिस्सा अपनी ही बनाई एक ट्रस्ट के नाम कर देते है और वो ट्रस्ट एजुकेशन इंस्टिट्यूट , हॉस्पिटलस इतियादी बनाती है और एक बडा इंफ्रास्ट्रक्चर बना लेते है जो परिवार का होता है, जिसमे शेयरहोल्डर का भी कोई हिस्सा नहीं होता , जो बाजार के जोखिम से दूर होता है और सम्पतियाँ और सम्पतियाँ बढ़ती जाती है।  थोड़ा बहुत ये लोग डोनेट कर देते है , थोड़ा बहुत कुछ सोशल काम कर देते है पर इनमे से कोई भी ऐसा नहीं है जिसने साहस किया हो व्यवस्था परिवर्तन का जो सिर्फ नायक ही कर सकता है।

यहाँ जरूरत है एक महानयक की जो सबको साथ जोड़े, जिस पर सबको विश्वास हो , जो राजनीतिक ना हो, जिससे आम जनता भी जुड़े।  आप जरा मुझे बताइए आप ही केबीसी में एक व्यक्ति जो इतना महान काम कर रहा है चिकित्सा का उसको 20 करोड़ की जरूरत है एक अस्पताल के लिए , अगर आप जैसा व्यक्ति सिर्फ एक अपील भी कर देगा और लोग 1000 रुपया भी डोनेट करेंगे तो सिर्फ २ लाख लोग चाहिए और ये पैसा 10-15 दिन में मिल जाएगा और एक महान काम जो शायद 10-20 साल में होता वो शुरू हो जाएगा।

जरा सोचिए भीख माँगना इस देश में अपराध है पर फिर भी पूरे देश में हर जगह लोग आपको भीख मांगते दिख जाएंगे। हर साल 50000 से ज्यादा बच्चे अपहरण हो जाते है और भीख मांगने पर लगा दिए जाते है, इस्सके लिए एक नेशनल लेवल मूवमेंट की जरूरत है जो एक महानायक ही कर सकता है।  कोई भी भिकारियो को इससलिए मदद नहीं कर पाता की उसको कहाँ रखेंगे , कैसे उनका जीवन यापन होगा , यही सोचकर सभी उसको भीख देकर मुक्त हो जाते है, आप कोशिश करिए एक संस्था बनाने की , आपके पीछे पूरा देश होगा  , आप महानायक हो , आप जैसा कहोगे लोग कहेंगे। आप के लिए 1000 करोड़ कोई बड़ी बात नहीं है , 1 करोड़ लोग 1000 रुपया हर साल देंगे तब हो जाएगा, या फिर  1 लाख लोग 1 लाख हर साल देंगे तब 1000 करोड़ हो जाएगा, इस्सके अलावा कंपनीया है फ़िल्मी सितारे है सब जुड़ जाएंगे। हिंदुस्तान में हर शहर में हजारो बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बेकार पड़ी है, अगर उनको लगेगा की आपका काम है सब आपको दे देंगे उनको लोगो को रखने के लिए पढ़ाने के लिए, आप अपील करेंगे तो सभी स्कूल 20-50-100 बच्चो को फ्री पड़ा देंगे।  सरकार की इतनी स्कीम है उनमे सब में से सहायता मिल जाएगी, आपके लिए सरकार नई स्कीम बना देगी।

अगर आप प्रति व्यक्ति 50000 रुपया  साल भी खर्च करो खाने, रहना और पढ़ाई , स्किल डेवेलपमेंट इत्यादि में तो 2 लाख से अधिक लोगो का जीवन स्तर परिवर्तित होगा 1000 करोड़ रुपया से ।

इस देश में हज़ारो कर्मवीर है जो अपने स्तर पर बहुत कार्य कर रहे है, यदि उनको आप जैसा व्यक्ति जो महानायक है एकतत्र करता है और उनके कामो को प्रोत्साहित करता है तो उनके कामो की गति में परिवर्तन होगा और करोड़ो लोग उससे प्रभावित होंगे।  आप अगर किसी कार्य के लिए खड़े हो गए तो लाइन वही से शुरू हो जाएगी भारत के सभी सितारे चाहे फ़िल्मी , चाहे स्पोर्ट्स या किसी भी अन्य फिल्ड के सब आपके पीछे होंगे।  मैं मान  ही नहीं सकता की अगर आपने बीड़ा उड़ा लिए तो 1 लाख करोड़ भी कोई बड़ी रकम होगी, वो भी बहुत छोटी रकम दिखाई देगी।

ये सब एक महानायक कर सकता है, और इस देश को जरूरत है एक महानायक की, आप यकीन मानिए मेरी बात का अगर आप शुरू करेंगे लोग आप के पीछे हो जाएंगे।  मैं अपने सारे काम छोड़ कर आपके पीछे इस काम में लगने को तैयार हूँ और ऐसे लाखो लोग है जो जुड़ेगे।


मेरा इस पत्र का उद्देश्य केवल ये है, की आप जैसा महानायक हजारो वर्षो में कोई पैदा होता है, आप जरा विचार करिए और इस देश को दिशा दीजिए , इस देश को आंदोलन की जरूरत है अपने लोगो की मदद करने के लिए , इस देश के अमीरो को जरूरत है की वो नीचे भी लोगो को देखे चाहे हजारो करोड़ के घर में रहे , करोड़ो रूपये रोज अपने उप्पर खर्च करे पर कुछ देश में क्रांतिकारी परविवर्तन का हिस्सा बने और वो बन सकते है पर सभी को यहाँ एक नायक चाहिए। सब सम्पति बनाने में लगे है, सब संपत्ति यही रह जानी है , इस देश को अब ये दिखाने की जरूरत है कि सम्पति एक छलावा मात्र है , एक समय के बाद हमे सब लोगो को अपने साथ लेके चलना है । ये सब हो सकता है जर्रोरत है सिर्फ एक महानायक की जो आप हो।  सब पीछे चलना चाहते है आगे कोई नहीं।  आप आगे बड़े सब आपके पीछे होंगे।

अगर आप को मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो मैं छमा पार्थी हूँ।  आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।

आपका एक फैन

 सचिन जैन